Buddha and Dhamma in Hindi - बुद्ध और उनका धम्म - डॉ बी आर अम्बेडकर
वाराणसी के पास सारनाथ का महान स्तूप, जहाँ कहा जाता है कि बुद्ध ने पहला धर्मोपदेश दिया .
[यह भी देखें - डॉ. अम्बेडकर द्वारा 22 प्रतिज्ञाएँ ]
* अनुवादकीय *
* संपादक का परिचय *
* लेखक की अप्रकाशित प्रस्तावना *
* परिचय *
* प्रस्तावना *
बुक एक : सिद्धार्थ गौतम - कैसे एक बोधिसत्त बुद्ध बने
* भाग I - जन्म से परिव्रज्या तक *बुक दो : धम्म परिवर्तन अभियान
* भाग II - हमेशा के लिए त्याग *
* भाग III - सत्य की खोज में *
* भाग IV - सम्बोधि और नवीन पथ का दृष्टिकोण *
* भाग V - बुद्ध और उनके पूर्वज *
* भाग VI - बुद्ध और उनके समकालीन पुरुष *
* भागVII - तुलना एवं विरोधाभास *
* भाग I - बुद्ध और उनका विषद योग *बुक तीन : बुद्ध का दर्शन - बुद्ध की शिक्षा
* भाग II - परिव्रजको का धम्म पर्रिवर्तन *
* भाग III - उच्च और पवित्र परिवर्तन *
* भाग IV- घर से बुलावा *
* भाग V - धम्म परिवर्तन अभियान की पुन: शुरुआत *
* भागVI - निम्नतर स्तर के लोगों का परिवर्तन *
* भाग VII - महिलाओं का परिवर्तन *
* भाग VIII - असभ्य और अपराधियों का परिवर्तन *
* भाग I - धम्म में उनकी अपनी जगह *
* भाग II - बौद्ध धम्म के विभिन्न दृष्टिकोण *
* भाग III - धम्म क्या है? *
* भाग IV - धम्म क्या नहीं है? *
* भाग V - सधम्म क्या है? *
बुक चार : धर्म और धम्म
* भाग I - धर्म और धम्म *बुक पांच : संघ की भूमिका
* भाग II - शब्दावली में समानताएँ कैसे मौलिक अंतर को छिपाती हैं *
* भाग III : बुद्ध का जीवन दर्शन *
* भाग IV - बुद्ध के उपदेश *
* भाग I - संघ की भूमिका *बुक छह : बुद्ध और उनके समकालीन पुरुष
* भाग II : भिक्खु (भिक्षु) - बुद्ध की स्वयं के बारे में अवधारणा *
* भाग III : भिक्खु (भिक्षु) का कर्तव्य *
* भाग IV : भिक्खु और समाज *
* भाग V : समाज के लिए विनय की भूमिका *
* भाग I - उनके संरक्षक *बुक सात : निर्वाण की अंतिम यात्रा
* भाग II - उनके दुश्मन *
* भाग III - बौद्ध दर्शन के आलोचक *
* भाग IV - मित्र और प्रशंसक गण *
* भाग I - प्रिय और नजदीकी लोगों का सम्मलेन *बुक आठ : सिद्धार्थ गौतम - एक व्यक्ति
* भाग II - वैशाली का त्याग *
* भाग III - महापरिनिर्वाण *
* भाग I - बुद्ध का व्यक्तित्व ** उपसंहार *
* भाग II - बुद्ध की मानवता *
* भाग III - बुद्ध ने क्या पसंद किया और क्या नापसंद किया ? *
बहुत खोजने पर भी भगवान् बुद्ध और उनका धम्म नेट पर हिन्दी में उपलब्ध नहीं है !धम्म को मानने वाले एवं आंबेडकर वादियों के लिए .किया गया ये प्रयास सार्थक सिद्ध होगा..एसा मेरा मानना है.... भवतु सब्ब मंगलम !
ReplyDeletehttps://play.google.com/store/apps/details?id=com.BuddhaandHisDhammainHindiMarathiandEnglish_7856193
DeleteBahut hi bekar translations hai iska koi fayda nahi hai isliye request hai ki ise hata de jab tak sahi translation nahi mil jata
ReplyDeleteBuddha ke dhamma ko samajna keval buddhijiviyo ke liye asan hain or dusro ke liye kathin.
Deletemen appti nahi kar raha satya kah raha hun
Buddha का धम्म केवल बुद्दिजीवी ही समज सकते हैं दुसरो के लिए इसे समजना कठिन हैं अगर प्रयास करे तो इसे आसानी से समजा जा सकता हैं
Deleteमैं आपके कमेंट्स पर अप्पति नहीं कर रहा सत्य कह रहा हूँ.
बुद्ध और उनका धम्म समझना बहुत ही आसान है, केवल थोड़ा प्रयास और अभ्यास चाहिए। बुद्ध धर्म का मूल सिद्धांत है - पंचशील। पंचशील का पालन करने से कोई भी व्यक्ति जीवन के दुःखों से मुक्ति पा सकता है। ये पंचशील है - 1. हिंसा न करे, 2. चोरी न करे, 3. असत्य न बोले, 4. नशा न करे और 5. व्यभिचार न करे। आज के समय में विश्व को ऐसे सदाचार की बहुत आवश्यकता है।
Deleteपंचशील का सिद्धांत अपनाकर आपके दुख दूर हो जायेगे एसे सोचना गलत है. सच तो यह है की इसका सुख से भी कोइ सीधा संबध ही नही है. यह सुख की कोइ गांरटी नही है, यह तो एक कठिन तपस्या है जिसे सुख दुख से परे जाकर एक अच्छा समाज बनाने के लिये लोग करे. इसे आसान रास्ता समझने भूल कभी ना करे. आसान रास्ता तो छल कपट और सीना जोरी का है जिसे अपना कर अमीर ओर अमीर हो रहा है और गरीब ओर गरीब. अंन्त मे यह सब जंगल राज का कारण बनता है.
DeleteVery good job done.
ReplyDeletebhoot achcha kaam kiya he aapne jra ise bhi dekhen Vipassana Meditation जिसे खोजा था भगवान महत्मा बुध ने, http://www.bharatyogi.net/2012/04/vipassana-meditation.html
ReplyDeleteअगर एक हाथ गीता को लेकर चलो, जिसमें असत्य व हिंसा है और ये कहो कि ये महत्व पूर्ण व आचरणीय ग्रंथ है, मीडिया के द्वारा इस को इतना अधिक प्रचारित किया जाता हो कि झूट भी सत्य लगने लगे! फिर दूसरी ओर अपनी झूठ को छि पाने के लिये सत्य-अहिंसा की बात कहो! ये काम गान्धी ने किया है, यानी समाज मेँ भ्रम व झूठ फैलाया गया है. जिसके कारण समाज में सत्य के बजाय लोभ, लालच, चोरी, व्यभिचार, भ्रष्टाचार व दुराचार फैल गया है, जिसको कानून बनाकर दूर करना मुमकिन नहीं है, क्योंकि कानून के रखवाले-पालन कराने वाले ही लोभ, लालच, चोरी, व्यभिचार, भ्रष्टाचार व दुराचार मेँ लिप्त हो गये लगते हैँ! अगर बुद्ध व भारत रत्न बाबा साहिब डा0 अम्बेडकर् के बतलाये मार्ग पर सरकार व प्रजा चले तो अल्प जन हि ताय, अल्प जन सुखाय की जगह बहु जन हि ताय, बहु जन सुखाय का लक्ष प्राप्त किया जा सकता है.
ReplyDeleteweldone dear
Deletewell thoughts dear
DeleteGreat thaughts
Deleteहम कब तक गांधी को दोष देते रहेगे. जो गलत है उनकी शक्ति और ताकत दिनों दिन बढती जा रही है. एसे मे दूसरों की तरफ उगली भर उठ देने से काम नही होगा. हम दूसरों पर उगली उठाकर समाज का भला नही कर सकते. उसके लिये खुद को उदाहरण बनना होता है. पंचशील पर अगर सच्चा विश्वास है तो उसे जीवन मे उतारे.
Deleteएक बार फिर अपने काम और आचरण से सिद्ध करें की पंचशील आज भी उतना ही प्रासागिक है. जब चारो ओर लूट खसोट का बोला बाला हो तब भी आप अपने इस सिद्धांत पर रहकर खुद और समाज को नई दिशा दे सकते है.
www.nagarjunbaudhvihar.com pls visit all dhamma bandhuo....
ReplyDeleteVery good job done.
DeleteVery good job done.
Deletehttp://bahujannayak.blogspot.in/
ReplyDeleteITS VERY GOOD FOR WHO ARE TRYING TO GET TRUTH..........JAI BHIM JAI BHARAT JAI BUDDHA
ReplyDeleteमैंने भगवान बुध और उनका धर्म की मूल अनुवादित प्रति लगभग २७ वर्ष पहले पढ़ी है जिसकी छाप अभी भी मेरे मस्तिस्क पर है परन्तु यह अनुवाद पढ़ कर बहुत निराशा हुई इसका अनुवाद इतना निम्न स्तर का है की सब कचरा कर रहा है कृपया इसे हटा दे और मूल अनुवाद उपलब्ध कराये.
ReplyDeletejai bheem jai bharat
ReplyDeleteNamo budhay ye dham bahut best hai ye logo jo sachai ke raste par le jata hai.jay bhim
ReplyDeleteJaybhim nice contribute for Dr.B. R. Ambedkar books
ReplyDeleteBuddh aur unka Dhamm is a better life , jine ko sikhati h
ReplyDeleteनमो बुद्ध्या वैसे मैंने धम्म के बारे में ज्यादा न पड़ा है न ही सुना है फिर भी जहा तक थोडा बहुत ज्ञात हुआ है आप लोगो के द्वारा में एक विनती करनी है की धम्म को सरल रूप में बताये जिस से एक नासमझ भी समझ सके और अपने को और भगवन बुद्ध को जान पाये नमो बुध्द
ReplyDeleteकृष्णा जी, आज धर्म का मतलब रिती रिवाज और पहनावे को मान लिया गया है लोग उसके प्रतीक चिन्हों को पकड कर बौठ गये है. सच तो यह है की कुछ लोगों के लिये यह बहुत ही फायदेमंद धंधा है, फिर चाहे वो कोई भी धर्म हो. सभी धर्म का जन्म इंसानियत को बनाये रखने के लिये हुआ...इतिहास उठाकर देख लो इसने ही सबसे ज्यादा इंसानियत को नुकसान पहुचाया है.
ReplyDeleteअगर आप सरल ह्र्दय है. आप इंसान को इंसान समझते है. लालच और डर को काबू मे रख पा रहे है तो फिर आप सही रास्ते पर है. इससे कोइ फर्क नही पडता की आप किस धर्म को मानना चाहते है. हां अगर आप को उससे राजनितिक फायदा उठाना है तो फिर यह जरूरी हो जाता है की आप रिती रिवाज और पहनावे और धार्मिक चोंचलों पर ध्यान दे और उसका दिखावा भी करे. शक्ति प्रदर्शन करे, दूसरे को नीचा देखाये. लोगों की भावनाओं को भडकाये और उनके जजबातों से खेले. उन्हे बताये की धर्म खतरे मे है .
कृष्णा जी, सरल धब्दों मे तो किसी को बबकूफ ही बनाया जा सकता है....अगर सागर मे से मोती को चुनना है तो उसमे डूबना ही होगा. इतना कष्ट तो उठाना ही पडेगा. एक बात ओर जब तक दूसरो का धर्म को नही समझोगे तब तक तुम्हे अपना धर्म भी समझ नही आयेगा. यह तो यात्रा है ..सरल और कठिन की फिक्र छोडकर जितना जल्दी यात्रा शुरू करोगे अच्छा रहेगा.