बुद्धं शरणम गच्छामि ! धम्मं शरणम गच्छामि ! संघम शरणम गच्छामि !
जय भीम ! जय बुद्ध ! जय भारत !
Leberty, Equality and Fraternity !
Educate, Agitate and Organize !
Loading

Sunday 10 July, 2011

साहित्य का संकट और दलित लेखन: प्रो. तुलसी राम

भारत जैसे देश में जहां धर्मांधता बहुत ज्यादा है, साहित्य की भूमिका हमेशा महत्वपूर्ण रही है। यहां तक कि धर्मांधता फैलाने में भी साहित्य की ही भूमिका रही है। हमारे देश में रामायण, महाभारत, पुराण आदि धार्मिक ग्रंथों की अंधविश्वास फैलाने में बड़ी भूमिका रही है। उन अंधविश्वासों के चलते पूरा भारतीय समाज ही अंधविश्वासी हो गया है। इसी से जुड़ी जाति व्यवस्था है, इसे फैलाने में भी धर्मग्रंथों का बड़ा हाथ था। आम जनता इन्हीं धर्मग्रंथों को ‘धर्मग्रंथ’ के साथ-साथ साहित्य के रूप में लेती है। प्रेमचंद का कहना सही है कि साहित्य सामाजिक परिवर्तन में भूमिका निभाता है। भारत ही नहीं, विश्वस्तर पर यह देखा गया है कि जिस तरह का साहित्य होता है, उसी तरह का समाज निर्मित होता है। आज के समय में भारत जैसे विशाल देश में प्रगतिशील साहित्य का निर्माण बहुत जरूरी है। आज भी हमारा समाज धर्मांधता में डूबा हुआ है। इलेक्ट्रॉनिक मीडिया ने इस धर्मांधता को खत्म कर वैज्ञानिक समाज बनाने के बजाय अंधविश्वासों को ही बढ़ावा दिया है। सैकड़ों चैनलों पर पाखंडी बाबाओं के प्रवचन चलते रहते हैं। इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के आने के बाद बहुत खतरनाक स्टेज में दुनिया पहुंच गई है। अब लोग किताबें नहीं पढ़ते हैं, बल्कि इलेक्ट्रॉनिक मीडिया पर न्यूज और विश्लेषण सुनकर जनमत बना रहे हैं। खबरों के अलावा धारावाहिक और फिल्मों के रूप में इलेक्ट्रॉनिक मीडिया में एक अलग तरह का साहित्य आ रहा है जो बाजारोन्मुखी है। इसके चलते प्रगतिशील साहित्य पिछड़ रहा है। ऐसी स्थिति में सही लेखन, जो धर्मांधता से प्रभावित न हो, तार्किक हो, बुद्धिवादी हो- ऐसे साहित्य की बहुत आवश्यकता है।

साहित्य का कम पढ़ा जाना या न पढ़ा जाना चिंता का विषय है। पश्चिमी देशों के विद्वान इसके कारणों को परिभाषित करने की कोशिश कर रहे हैं। उनकी दृष्टि में भूमंडलीकरण की वजह से पूरी दुनिया में ‘ड्रीम इंडस्ट्री’ का उदय हुआ है। ड्रीम इंडस्ट्री के उदाहरण के तौर पर अगर हम आधुनिक पश्चिमी स्टूडियो को ले सकते हैं, जिसकी वजह से चमत्कारिक चीजों को घटित होते हुए दिखाना संभव हुआ है। चूंकि भारत कपोल कल्पित कहानियों और मिथकों का देश रहा है, इसलिए इस पर इन ड्रीम इंडस्ट्री का असर बहुत तेजी के साथ पड़ा है। उदाहरण के लिए यह एक मिथक है कि राम ने वानरों की मदद से श्रीलंका जाने के लिए समुद्र पर पुल बांध दिया।

ड्रीम इंडस्ट्री या वेस्टर्न स्टूडियो या मॉडर्न स्टूडियो की मदद से यह संभव कर दिया कि वे पुल को बांधते हुए दिख रहे हैं। बंधा हुआ पुल भी दिखाई दे रहे हैं। यह चमत्कार इस ड्रीम इंडस्ट्री की वजह से हुआ है। इस तरह जो चीजें पहले कपोल कल्पना या मिथकीय रूप में थीं, वे आमूर्त रूप से सामने आ गईं। आधुनिक तकनीक ने सब बदल दिया। पहले लोग पढ़ते थे तो मिथकों के बारे में खूब सवाल करते थे। लंबी-लंबी और गंभीर बहसें हुआ करती थीं। जैसे हनुमान ने सूरज को अपनी कांख में दबा लिया, इस पर सवाल खड़े किए जाते थे। अब मॉडर्न टेक्नोलॉजी ने इसे कर दिखाया। परदे पर इसे दिखाना बहुत आसान है। इससे मिथकों में ज्यादा लोगों का विश्वास हो रहा है। इस तरह ज्ञान के क्षेत्र में दो क्रियाओं का परिवर्तन हो गया है। पहले लोग पढ़कर ज्ञान इक_ा करते थे, अब देखकर ज्ञान इक_ा कर रहे हैं। पढऩे और देखने में बड़ा भारी फर्क है। दिखाया वही जा रहा है जो मीडिया के मालिक दिखाना चाहते हैं। लोगों की रुचियां बदल रही हैं। पूरा देश और समाज एक खतरनाक दौर से गुजर रहा है। इसके चलते किताबों का महत्व दिन-प्रतिदिन घट रहा है। दर्शनीय चीजें महत्वपूर्ण होती जा रही हैं।

ऐसे नाजुक दौर में हम मुक्तिकामी साहित्य, विशेषतौर पर दलित साहित्य को उम्मीद की दृष्टि से देख सकते हैं। दलित साहित्य की एक महत्वपूर्ण भूमिका यह होने जा रही है कि वर्णव्यवस्था (जो कि धर्मजनित है) के विरोध और बुद्धिवादी विचारों पर आधारित होने के कारण यह साहित्य में आए रुचिहीनता के संकट का सामना करने को तैयार है। इसकी वजह यही है कि दलित साहित्य तार्किक है। ठीक वैसे ही जैसे दुनिया के स्तर पर अश्वेत साहित्य, आदिवासी साहित्य और नारीवादी साहित्य है। साहित्य में आई यह रेशनलिटी साहित्य को बाजारवाद से आई विकृतियों से लडऩे में मदद कर रही है। इस संदर्भ में भारत में दलित साहित्य की भूमिका बहुत ही ऐतिहासिक होने जा रही है।

दलित साहित्य से जुड़ी एक बड़ी समस्या यह है कि इससे कुछ ऐसे लोग जुड़े हैं जो दलित साहित्य को जातिवादी साहित्य बताने और बनाने में लगे हैं। यह उन्हीं की धारणा है कि दलित साहित्य केवल दलित ही लिख सकता है। ये तो वैसे ही जैसे कोई कहे कि दलित राजनीति केवल दलित ही कर सकता है। यह बहुत ही हास्यास्पद स्थिति है। हिंदी क्षेत्र के दलित आंदोलन में बहुजन समाज पार्टी (बसपा) के उदय के बाद प्रखरता और आक्रामकता आई है, उसका प्रभाव साहित्य पर भी पड़ा है, इसी की वजह से हिंदी के दलित साहित्य में आक्रामकता आई है। इसके चलते अलग-अलग विचार दलितों के अंदर भी उभरकर आए हैं और इसी प्रक्रिया में तमाम अंतर्विरोध उभरकर सामने आ रहे हैं। दलित साहित्य का मतलब जातिवादी साहित्य नहीं है, बल्कि यह जाति व्यवस्था के विरोध का साहित्य है। इसमें वे तमाम साहित्यकार जो वर्ण व्यवस्था के विरोध में रचना कर रहे हैं, वह सारा दलित साहित्य के अंदर आता है। मैं हमेशा से मानता रहा हूं कि दलित साहित्य का उद्गम बौद्ध साहित्य से हुआ है क्योंकि बौद्धों ने सबसे पहले वर्ण व्यवस्था का बहुत सशक्त विरोध किया था। तमाम बौद्ध दार्शनिकों ने वर्ण व्यवस्था के खिलाफ अपनी आवाज बुलंद की। इसी के चलते बौद्धों का सर्वनाश किया गया, बौद्ध मठों को तोड़ा गया तथा फिर से जाति व्यवस्था कायम की गई और उसे बड़ी कड़ाई से लागू किया गया। खासकर शंकराचार्य के उदय के बाद 9वीं सदी में यह तेजी से हुआ।

बौद्धस्थलियों को हिंदू स्थलियों में बदला गया। यह वर्ण व्यवस्था के विरोध का ही परिणाम था। अगर हम यह कहें कि दलित ही दलित साहित्य लिख सकता है तो हम उन तमाम लोगों का अपमान करेंगे जिन्होंने गैर-दलित होते हुए भी जाति व्यवस्था के विरोध और दलितों के उत्थान के लिए अपना पूरा जीवन लगा दिया। इस परंपरा में एक-दो नहीं, हजारों नाम गिनाए जा सकते हैं।

एक और ऐतिहासिक सत्य है इस देश में- जाति व्यवस्था को जहां ब्राह्मणों ने बनाया, वहीं इसका विरोध करने वाले भी सबसे पहले ब्राह्मणों के अंदर से ही निकले। इस बात को हमें नजरअंदाज नहीं करना चाहिए। दलितों के अंदर भी जातिवाद और ब्राह्मणवाद हो सकता है, इसलिए दलितों के लिखे को ही दलित साहित्य मानने के तर्क से सहमत नहीं हुआ जा सकता। इस तरह की धारणाएं दलित साहित्य को संकुचित बनाती हैं, उसकी सार्वभौमिकता को नष्ट करती हंै और समाज से दलित साहित्य को काटकर रखती हैं, जो कि बहुत खतरनाक है। दलित साहित्य एक सामाजिक कल्याण की विचारधारा है। इसलिए संकुचित विचारों के लिए इसमें कोई स्थान नहीं होना चाहिए।

प्रो. तुलसी राम जेएनयू में अंतर्राष्ट्रीय राजनीति के प्रोफेसर हैं | उनका यह साक्षात्कार गंगा सहाय मीणा से हुई बातचीत पर आधारित है | 
साभार : दैनिक भास्कर
http://epaper.bhaskar.com/cph/Details.aspx?id=57649boxid=7932815968 

No comments:

Post a Comment

Please write your comment in the box:
(for typing in Hindi you can use Hindi transliteration box given below to comment box)

Do you like this post ?

LinkWithin

Related Posts with Thumbnails

लिखिए अपनी भाषा में

Type in Hindi (Press Ctrl+g to toggle between English and Hindi)

Search in Labels Crowd

22 vows in hindi (1) achhut kaun the (1) adivasi sahitya (1) ADMINISTRATION AND FINANCE OF THE EAST INDIA COMPANYby Dr B R Ambedkar (1) ambedar (1) ambedkar (34) ambedkar 119th birth anniversary (2) ambedkar 22 vows (1) ambedkar and gandhi conversation (1) ambedkar and hinduism (1) ambedkar anniversary (2) ambedkar birth anniversary (2) ambedkar books (18) ambedkar chair (1) ambedkar death anniversary (1) Ambedkar in News (1) ambedkar inspiration (1) ambedkar jayanti (3) ambedkar jayanti 2011 (1) ambedkar life (3) ambedkar literature (11) ambedkar movie (3) ambedkar photographs (2) ambedkar pics (3) ambedkar sahitya (10) ambedkar statue (1) ambedkar vs gandhi (2) ambedkar writings (1) ambedkar's book on buddhism (2) ambedkarism (8) ambedkarism books (1) ambedkarism video (1) ambedkarite dalits (2) anand shrikrishna (1) arising light (1) arya vs anarya true history (1) atheist (1) beginners yoga (1) books about ambedkar (1) books from ambedkar.org (10) brahmnism (1) buddha (33) buddha and his dhamma (15) buddha and his dhamma in hindi (2) buddha jayanti (1) buddha or karl marx (1) buddha purnima (2) Buddha vs avatar (1) Buddha vs incarnation (1) buddha's first teaching day (1) Buddham Sharanam Gacchami (1) Buddham Sharanam Gachchhami (1) buddhanet books (6) buddhism (43) buddhism books (18) buddhism conversion (1) buddhism for children (1) buddhism fundamentals (1) buddhism in india (4) buddhism meditation (1) buddhism movies (1) buddhism video (7) buddhist marriage (1) caste annhilation (1) castes in india (1) castism in india (1) chamcha yug (1) charvak (1) Chatrapati Shahu Bhonsle (1) chinese buddhism (1) dalit (2) dalit and buddhism (1) dalit andolan (1) dalit antarvirodh (1) dalit books (1) dalit great persons (1) dalit history (1) dalit issues (2) dalit leaders (1) dalit literature (1) dalit masiha (1) dalit movement (2) dalit movement in Jammu (1) dalit perspectives on Religion (1) dalit politics (1) dalit reformation (1) dalit revolution (1) dalit sahitya (2) dalit thinkers (1) dalits (2) dalits glorious history (1) dalits in India (1) darvin (1) dhamma (16) dhamma Deeksha (2) digital library of India (1) docs (1) Dr Babasaheb - untold truth (1) Dr Babasaheb movie (2) federation vs freedom (1) four sublime states (1) freedom for dalits (1) gandhi vs ambedkar (1) google docs (1) guru purnima (1) hindi posts (8) hindu riddles (1) hinduism (1) in hindi (1) inter-community relations (1) Jabbar Patel movie on Ambedkar (1) jati varna system (1) just be good (1) kanshiram (1) karl marx (1) lenin (1) literature (4) lodr buddha tv (1) lord buddha (1) meditation (9) meditation books (1) meditation video (6) mindfilness (1) navayan (1) news (1) Nyanaponika (1) omprakash valmiki (1) online books about ambedkar (1) pali tripitik (2) parinirvana (1) periyar (1) pics (3) Poona Pact (1) poona pact agreement (1) prakash ambedkar (1) Prof Tulsi Ram (1) quintessence of buddhism (1) ranade gandhi and jinnah (2) sahitya (1) sampradayikta (1) savita ambedkar (1) Sayaji Rao Gaekwar (1) secret buddhism (1) secularism (1) self-realization (1) sukrat (1) Suttasaar (1) swastika (1) teesri azadi movie (1) tipitaka (1) torrent (1) tribute to ambedkar (1) Tripitik (2) untouchables (2) vaisakh purnima (1) video (7) video about ambedkar (1) Vipassana (5) vipassana books (1) vipassana video (3) vipasyana (3) vivek kumar interview (1) well-being (1) what buddha said (13) why buddhism (1) Writings and Speeches (1) Writings and Speeches by Dr B R Ambedkar (11) yoga (5) yoga books (1) yoga DVD (2) yoga meditation (2) yoga video (4) yoga-meditation (9) अम्बेडकर जीवन (1) बुद्ध और उसका धम्म (2) स्वास्तिक (1) हिंदी पोस्ट (24)

Visitors' Map


Visitor Map
Create your own visitor map!

web page counter