दलितों और शोषितों की आवाज बुलंद करने वाला बुद्धा टीवी चैनल अब उत्तर भारत में भी जल्दी ही प्रसारित होगा. इस संबंध में बीते 25 मार्च को चैनल की ओर से जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय में एक कार्यक्रम का आयोजन किया गया जिसमें चैनल को उत्तर भारत में सुचारू ढंग से प्रसारित करने पर चर्चा हुई. कार्यक्रम को आयोजित करने का मुख्य उद्देश्य राज्य और भाषा दोनो दृष्टियों से इस चैनल का प्रसार करना था. कार्यक्रम में बुद्धा टी.वी. चैनल के संस्थापक तथा अध्यक्ष “भैयाजी खेरकर” (महाराष्ट्र), प्रो. विमल थोराट (जे.एन.यू.), अयूर इण्डिया टी.वी. के श्री आर.के. पाशान, उत्तर भारत में बुद्धा टी.वी. चैनल का काम संभालने वाले राजकुमार गौतम (ग़ाज़ियाबाद) सहित डॉ. एस.एन. गौतम और राष्ट्रीय शोषित परिषद के अध्यक्ष जय भगवान जाटव सहित कई गणमान्य लोग उपस्थित थे.
कार्यक्रम को सबसे पहले बुद्धा टी.वी. चैनल के संस्थापक भैयाजी खेरकर ने सम्बोधित किया. उन्होंने चैनल की स्थापना में आने वाली अड़चनों की विस्तार से चर्चा की. उन्होंने बताया कि चैनल प्रसारित करने के लिए केबल ऑपरेटरों ने 50 करोड़ की माँग की थी तथा चैनल को शुरू करने में लगभग 100 करोड़ का आंकड़ा बताया. लेकिन अपनी सूझबूझ और अटल इरादों के बल पर उन्होंने ऐसी अनोखी पहल की जिससे बिना ऑपरेटरों को पैसा बाँटे ही नागपुर से इसके प्रसारण की शुरुआत हो गयी. इस चैनल को शुरू करवाने के लिए खेरकर जी ने अपने सहयोगियों के साथ व्यापक रणनीति बनाते हुए लोगों को इन ब्राह्मणवादी मानसिकता वाले प्रसारकों के खिलाफ आवाज उठाने के लिए प्रेरित किया. नागपुर के बौद्ध सहित वहां की जनता ने भी पूरा साथ देते हुए ऑपरेटर्स को धमकियां देना शुरू किया कि यदि उनके सौ चैनल के बदले बौद्धों का एक चैनल प्रसारित नहीं किया गया तो वे लोग अपना कनेक्शन कटवा लेंगे. इस धमकी से प्रसारक बिना शुल्क के ही इस चैनल को प्रसारित करने पर राजी हो गए. नागपुर, अकोला सहित विदर्भ के 11 जिलों में यह चैनल दिखाया जाने लगा. इसी प्रकार महाराष्ट्र के अन्य भागों में भी लोगों ने इसी प्रकार संघर्ष करके इस चैनल की शुरुआत कराई. मुंबई में दादर से इसके प्रसारण की शुरुआत हुई.
खेरकर जी ने ये भी बताया कि चेम्बूर में लगभग 1500 लोग इस चैनल को शुरू कराने के लिए सड़कों पर उतर आये थे. पुणे एवं औरंगाबाद जिलों में प्रशासनिक हस्तक्षेप के द्वारा इस चैनल की शुरुआत कराई गयी. भैयाजी खेरकर ने भारतीय मीडिया पर धर्मनिरपेक्ष न होने का आरोप लगाते हुए कहा कि बोधगया में हर साल लगभग 200 देशों के बौद्ध अनुयायी आते हैं और विशाल एवं भव्य कार्यक्रम होते हैं लेकिन उनका लाइव प्रसारण कभी नहीं दिखाया जाता जबकि नासिक और इलाहाबाद में होने वाले कुम्भ मेलों का लाइव प्रसारण दिखाया जाता है. इसके अतिरिक्त उन्होने बताया कि इस भारतवर्ष पर प्राचीन काल के सभी महापुरुषों में से सर्वाधिक एहसान तथागत बुद्ध का तथा आधुनिक भारत पर बाबा साहब का है लेकिन पूर्वाग्रह से ग्रस्त भारतीय मीडिया इन बातों को लोगों को न तो बताना चाहती है और न ही दिखाना चाहती है. उन्होने ये भी कहा कि बाबा साहब ने दलितों पर कम, भारतवर्ष पर ज्यादा एहसान किया है लेकिन यहां की तथाकथित चौथा स्तम्भ यानि मीडिया उन्हे केवल दलितों का मसीहा कहकर उनके व्यक्तित्त्व को एकदम सीमित कर देती है.
इन सभी बातों को घर-घर तक पहुँचाने के लिए उन्होने दिल्ली के प्रबुद्ध वर्ग का आह्वान करते हुए चैनल की शुरुआत के लिए महाराष्ट्र जैसे संघर्ष का नारा बुलन्द किया. कार्यक्रम के एक अन्य वक्ता आर.के. पाशान ने बुद्धा टी.वी. चैनल को चलाने के लिए सबको आगे आकर संघर्ष करने का आह्वान किया. जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय की प्रो. विमल थोराट ने चैनल की उपयोगिता एवं महत्त्व पर प्रकाश डालते हुए कहा कि वर्तमान में सारे चैनलों की चाबी या तो ब्राह्मण वर्ग के हाथ में है या फिर उस मानसिकता वाले लोगों के हाथ में है, ऐसी स्थिति में यह बहुत आवश्यक है कि सारे लोग मिलकर इस चैनल को आरम्भ करवाने के लिए संघर्ष करें और विचारधारा के प्रचार-प्रसार के लिए तन-मन-धन से सहयोग के लिए आगे आएं. दिल्ली में चैनल के प्रसारण की जिम्मेदारी संभालने वाले राजकुमार गौतम जी ने बताया कि बुद्धा टी.वी. चैनल की शुरुआत उत्तर प्रदेश में 14 अक्टूबर सन् 2011 को गाजियाबाद से हुई और अब वे इसे पूरे दिल्ली प्रदेश में प्रसारित करवाने के लिए प्रयासरत हैं. अन्य वक्ताओं में फ़िल्म इंस्टीट्यूट पुणे से 1974-75 में ऐक्टिंग के क्षेत्र में स्नातक तथा दलित समाज की एवं महिलाओं की समस्याओं को आवाज देने वाली सुजाता पारमिता, डॉ. एस.एन. गौतम, आसाराम गौतम और जय भगवान जाटव ने भी कार्यक्रम को सम्बोधित किया. कार्यक्रम में जवाहरलाल नहरू विश्वविद्यालय के छात्रों एवं अध्यापको सहित दिल्ल्ली तथा आसपास के कई कार्यकर्ता सहित अनेक गण्यमान्य लोग उपस्थित थे.
गौरतलब है कि बुद्धा टी.वी. चैनल की शुरूआत 26 नवम्बर 2010 को दीक्षाभूमि नागपुर से हुई थी. भारत में बौद्ध जगत के प्रसार के लिए उठाया गया यह पहला इलेक्ट्रॉनिक मीडिया है. वर्तमान में यह चैनल 4 राज्यों में प्रसारित हो रहा है. इनमें से पूरे महाराष्ट्र सहित मध्य प्रदेश तथा छत्तीसगढ़ के 70% भाग में तथा कर्नाटक के 30% भाग में सुचारू रूप से चल रहा है.
कार्यक्रम को सबसे पहले बुद्धा टी.वी. चैनल के संस्थापक भैयाजी खेरकर ने सम्बोधित किया. उन्होंने चैनल की स्थापना में आने वाली अड़चनों की विस्तार से चर्चा की. उन्होंने बताया कि चैनल प्रसारित करने के लिए केबल ऑपरेटरों ने 50 करोड़ की माँग की थी तथा चैनल को शुरू करने में लगभग 100 करोड़ का आंकड़ा बताया. लेकिन अपनी सूझबूझ और अटल इरादों के बल पर उन्होंने ऐसी अनोखी पहल की जिससे बिना ऑपरेटरों को पैसा बाँटे ही नागपुर से इसके प्रसारण की शुरुआत हो गयी. इस चैनल को शुरू करवाने के लिए खेरकर जी ने अपने सहयोगियों के साथ व्यापक रणनीति बनाते हुए लोगों को इन ब्राह्मणवादी मानसिकता वाले प्रसारकों के खिलाफ आवाज उठाने के लिए प्रेरित किया. नागपुर के बौद्ध सहित वहां की जनता ने भी पूरा साथ देते हुए ऑपरेटर्स को धमकियां देना शुरू किया कि यदि उनके सौ चैनल के बदले बौद्धों का एक चैनल प्रसारित नहीं किया गया तो वे लोग अपना कनेक्शन कटवा लेंगे. इस धमकी से प्रसारक बिना शुल्क के ही इस चैनल को प्रसारित करने पर राजी हो गए. नागपुर, अकोला सहित विदर्भ के 11 जिलों में यह चैनल दिखाया जाने लगा. इसी प्रकार महाराष्ट्र के अन्य भागों में भी लोगों ने इसी प्रकार संघर्ष करके इस चैनल की शुरुआत कराई. मुंबई में दादर से इसके प्रसारण की शुरुआत हुई.
खेरकर जी ने ये भी बताया कि चेम्बूर में लगभग 1500 लोग इस चैनल को शुरू कराने के लिए सड़कों पर उतर आये थे. पुणे एवं औरंगाबाद जिलों में प्रशासनिक हस्तक्षेप के द्वारा इस चैनल की शुरुआत कराई गयी. भैयाजी खेरकर ने भारतीय मीडिया पर धर्मनिरपेक्ष न होने का आरोप लगाते हुए कहा कि बोधगया में हर साल लगभग 200 देशों के बौद्ध अनुयायी आते हैं और विशाल एवं भव्य कार्यक्रम होते हैं लेकिन उनका लाइव प्रसारण कभी नहीं दिखाया जाता जबकि नासिक और इलाहाबाद में होने वाले कुम्भ मेलों का लाइव प्रसारण दिखाया जाता है. इसके अतिरिक्त उन्होने बताया कि इस भारतवर्ष पर प्राचीन काल के सभी महापुरुषों में से सर्वाधिक एहसान तथागत बुद्ध का तथा आधुनिक भारत पर बाबा साहब का है लेकिन पूर्वाग्रह से ग्रस्त भारतीय मीडिया इन बातों को लोगों को न तो बताना चाहती है और न ही दिखाना चाहती है. उन्होने ये भी कहा कि बाबा साहब ने दलितों पर कम, भारतवर्ष पर ज्यादा एहसान किया है लेकिन यहां की तथाकथित चौथा स्तम्भ यानि मीडिया उन्हे केवल दलितों का मसीहा कहकर उनके व्यक्तित्त्व को एकदम सीमित कर देती है.
इन सभी बातों को घर-घर तक पहुँचाने के लिए उन्होने दिल्ली के प्रबुद्ध वर्ग का आह्वान करते हुए चैनल की शुरुआत के लिए महाराष्ट्र जैसे संघर्ष का नारा बुलन्द किया. कार्यक्रम के एक अन्य वक्ता आर.के. पाशान ने बुद्धा टी.वी. चैनल को चलाने के लिए सबको आगे आकर संघर्ष करने का आह्वान किया. जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय की प्रो. विमल थोराट ने चैनल की उपयोगिता एवं महत्त्व पर प्रकाश डालते हुए कहा कि वर्तमान में सारे चैनलों की चाबी या तो ब्राह्मण वर्ग के हाथ में है या फिर उस मानसिकता वाले लोगों के हाथ में है, ऐसी स्थिति में यह बहुत आवश्यक है कि सारे लोग मिलकर इस चैनल को आरम्भ करवाने के लिए संघर्ष करें और विचारधारा के प्रचार-प्रसार के लिए तन-मन-धन से सहयोग के लिए आगे आएं. दिल्ली में चैनल के प्रसारण की जिम्मेदारी संभालने वाले राजकुमार गौतम जी ने बताया कि बुद्धा टी.वी. चैनल की शुरुआत उत्तर प्रदेश में 14 अक्टूबर सन् 2011 को गाजियाबाद से हुई और अब वे इसे पूरे दिल्ली प्रदेश में प्रसारित करवाने के लिए प्रयासरत हैं. अन्य वक्ताओं में फ़िल्म इंस्टीट्यूट पुणे से 1974-75 में ऐक्टिंग के क्षेत्र में स्नातक तथा दलित समाज की एवं महिलाओं की समस्याओं को आवाज देने वाली सुजाता पारमिता, डॉ. एस.एन. गौतम, आसाराम गौतम और जय भगवान जाटव ने भी कार्यक्रम को सम्बोधित किया. कार्यक्रम में जवाहरलाल नहरू विश्वविद्यालय के छात्रों एवं अध्यापको सहित दिल्ल्ली तथा आसपास के कई कार्यकर्ता सहित अनेक गण्यमान्य लोग उपस्थित थे.
गौरतलब है कि बुद्धा टी.वी. चैनल की शुरूआत 26 नवम्बर 2010 को दीक्षाभूमि नागपुर से हुई थी. भारत में बौद्ध जगत के प्रसार के लिए उठाया गया यह पहला इलेक्ट्रॉनिक मीडिया है. वर्तमान में यह चैनल 4 राज्यों में प्रसारित हो रहा है. इनमें से पूरे महाराष्ट्र सहित मध्य प्रदेश तथा छत्तीसगढ़ के 70% भाग में तथा कर्नाटक के 30% भाग में सुचारू रूप से चल रहा है.
-शत्रुध्न प्रकाश
(साभार : दलित मत @ http://dalitmat.com/index.php/kala-sahitya/1057-lord-buddha-tv-in-north-india.html)
इसकी शुरुआत तो बहुत पहले ही हो जानी चाहिये थी ...काफ़ी लम्बे अंतराल के बाद ब्लागिग मे देख रहा हूँ , लिख्ते रहें और नियमित लिखें ...बुद्ध पूर्णिमा की शुभकामनायें ...
ReplyDeleteनमस्कार
ReplyDeleteआप बधाई के पात्र है . जो बुद्ध चैनल को देश के सामने परोसा . यह तो बहुत पहले हो जाना चाहिए था , फिर भी देर आये दुरुस्त आये . मै भी इस चैनल से जुड़ना चाहता हु ताकि बुद्ध की कृपा को अपने विहार, झारखण्ड क्षेत्र में अपने स्तर से वीजा रोपण कर सकू और देश के धरोहर को जीवित रख सकू ......महेश प्रसाद ," संवाददाता आज " झारखण्ड ,कोयलांचल ..०९४७२७२७७७४, ०७३५२१८१९०० ...धन्यवाद
भगवान बौद्ध का चॅनेल नही है ए आपको किसने कहा? पुरे जग मे जपान, भुतान, थायलंड,तिबेट,चिन मे बुद्धिस्ट विचारधारा के कुल मिला के 200 चेनल प्रसारित किए जाते है। बाकी " बुद्धा " चॅनल को शुभकामनाए ।
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